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21 Oct 2021 · 1 min read

महिषासुर मर्दिनी

महिषासुर संग्राम के,लिहली माई जीत।
देव-मनुज जै जै करें,बाकी सब भयभीत।।१।।

महिषासुर के जीत लें,धरि के काली रूप।
डर के टारत धुंध जब,निकले जय के धूप।।२।।

महिषासुर के मर्दिनी,भरत चले हुंकार।
छितरी छूटे सूनि के,देखि हाथ तलवार।।३।।

काली कलकत्ता बसें,करें जगत उद्धार।
भक्त लोग दर्शन करत,बोले जय जयकार।।४।।

मारें शुम्भ-निशुम्भ के,होके सिंह सवार।
अष्टभुजी माॅं अम्बिका,भरें जगत के भार।।५।।

**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**

Language: Bhojpuri
350 Views
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