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3 Jul 2021 · 1 min read

देखीं न कइसन ई जमाना बा

देखीं न कइसन ई जमाना बा,
बुनत ई कइसन ताना बाना बा।
अखियन में प्यार लउकेला बाकिर,
दिलवा में नफरत के अफसाना बा।
भीड़ भाड़ चौराहे पर देखीं,
पियवाईया से भरल मौखला बा।
कान्ह केहू के और बंदूख केहू के होला,
समझल मुश्किल बा केकरे पर निशाना बा।
देखीं न कइसन …………………………।

चारो ओर बस लोगवे लउकेला,
भीड़ बहुते बा पर सब बेगाना बा।
काम देखीं न रुकेला कवनो,
लेन देन के ही ई जमाना बा।
जे दिलवा पूरा लुटावल प्यार में आपन,
उ बेवफाई में तड़पत दीवाना बा।
नयापन में माई बाप के भूलि के,
आधे कपड़े में घुमत इहाँ जनाना बा।
देखीं न कइसन …………………..।

देखि अभद्रता जे सह न पावेल,
होला शर्मसार अँखियन के तराना बा।
भजन कीर्तन आल्हा के के पूछे अब,
अश्लील गीतन में लागत खजाना बा।
ई कवन ज्ञान देखावता दूरदर्शन,
अंग प्रदर्शन से भरल एकर तहखाना बा।
देखीं न कइसन ………………………..।

उज्जर में दाग छिपेला लागेला,
रोज धोबियन के इहाँ आना जाना बा।
मानव पर काहे न महामारी छाई,
जब कीड़े मकोड़न के खाना खाना बा।
हिया रोवेला ‘अशोक’ के चैन खोवेला,
कि कवने गर्त में डूबत ई जमाना बा।
देखीं न कइसन……………………..।

“””””””””””””””””””‘””””””””‘”””””””
अशोक शर्मा,लक्ष्मीगंज,
कुशीनगर,उ.प्र.
6392278218
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””

Language: Bhojpuri
3 Likes · 4 Comments · 519 Views
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