Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2021 · 1 min read

कुछ भोजपुरी दोहे

पर्दा में शोभत हई, घर के बुढ़िया सास।
मेक्सी में घूमत रहें, बहुवर से का आस।।

चिलमन से झाँकत हई, गोरी जवनी ओर।
रजनी में दिनकर खिलल, भक से भइल अँजोर।।

निकलल बा जइसे कहीं, बदरी में से चांद।

पर्दा में राखल करऽ, आपस के मतभेद।
गैर दवा ना, दर्द दी, बहुती होई खेद।।

सरकइतू चिलमन तनिक, हो जाइत दीदार।
एक झलक पावे बदे, व्याकुल नैन हमार।।

पर्दा जनि राखीं कबो, प्रेम हृदय के बीच।
दर्द बहुत देला सखे, वैमनस्य के कीच।।

आँखी पर पर्दा पड़ल, बुद्धि भइल हऽ भ्रष्ट।
भोजपुरी भाषा सखे, हमने कइनी नष्ट।।

अवगुण सब सम्मुख धरीं, गुनवा राखीं तोप।
आपन कमी न देखिहन, हो जइहन ऊ लोप।।

पर्दा कवनी बाति के, हमरा-तहरा बीच।
व्याकुल बा देखे बदे, नैना पापी नीच।।

राति-राति भल जागि के, खूब बहवनी नीर।
दुसरे की साथे गइलि, यार न बुझलसि पीर।।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Bhojpuri
1148 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेघों का मेला लगा,
मेघों का मेला लगा,
sushil sarna
दोहे-*
दोहे-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
भीष्म के उत्तरायण
भीष्म के उत्तरायण
Shaily
* बातें व्यर्थ की *
* बातें व्यर्थ की *
surenderpal vaidya
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
4. गुलिस्तान
4. गुलिस्तान
Rajeev Dutta
गंणतंत्रदिवस
गंणतंत्रदिवस
Bodhisatva kastooriya
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
द माउंट मैन: दशरथ मांझी
द माउंट मैन: दशरथ मांझी
Jyoti Khari
*अहंकार *
*अहंकार *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई  लिखता है
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
Shweta Soni
कहानी - आत्मसम्मान)
कहानी - आत्मसम्मान)
rekha mohan
💐प्रेम कौतुक-204💐
💐प्रेम कौतुक-204💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ Rãthí
जीवन में ख़ुशी
जीवन में ख़ुशी
Dr fauzia Naseem shad
23/175.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/175.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नये गीत गायें
नये गीत गायें
Arti Bhadauria
एक पल में ये अशोक बन जाता है
एक पल में ये अशोक बन जाता है
ruby kumari
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
Dushyant Kumar
स्वयं से तकदीर बदलेगी समय पर
स्वयं से तकदीर बदलेगी समय पर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
नीरज…
नीरज…
Mahendra singh kiroula
" कुछ काम करो "
DrLakshman Jha Parimal
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
शुक्रिया कोरोना
शुक्रिया कोरोना
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार
Suryakant Dwivedi
"जस्टिस"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
Loading...