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12 Jul 2021 · 1 min read

आइल बहार पिया ना

आयोजन:- पारम्परिक लोकगीत लेखन
विधा-कजरी
__________________________________________

पड़े सावन के रिमझिम फुहार पिया, आइल बहार पिया ना।
ढऽ लऽ गाड़ी तू जल्दी हमार पिया, आइल बहार पिया ना।

बहे पुरुआ बयार, याद आवेला तोहार।
मन लागे ना देखऽ, सुन बा अँगना दुआर।
इहाँ पड़ल बा विरह के मार पिया, आइल बहार पिया ना।
ढऽ लऽ गाड़ी तू जल्दी हमार पिया, आइल बहार पिया ना।

बदरा करे मनमानी, लागल खेतवा में पानी।
बिआ भइल तइयार, आवऽ काटल जाई चानी।
देखऽ रोपनी के लागल लहार पिया, आइल बहार पिया ना।
ढऽ लऽ गाड़ी तू जल्दी हमार पिया, आइल बहार पिया ना।

नाहीं कंगना न हार, हमके चाही तोहार प्यार।
नीक अचिको ना लागी, अबे आई त्योहार।
बाटे तहरा से इहे मनुहार पिया, आइल बहार पिया ना।
ढऽ लऽ गाड़ी तू जल्दी हमार पिया, आइल बहार पिया ना।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Bhojpuri
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 526 Views
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